पेंड भी हंसे थे

वो पेंड भी 
हंसे थे 
हमारी जीने मरने की 
बातें सुनकर 
कितनी पीढ़ियों से 
यही बातें सुनकर 
आज भी 
ये पेड़ हरे हैं।

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